2 दिन पहले ही देश भर में नशामुक्त भारत अभियान की 5वीं वर्षगांठ मनाई गई थी. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सीएम धामी ने नशामुक्त भारत अभियान की वर्षगांठ पर कहा था कि- नशे का प्रसार वैश्विक स्तर पर एक ‘साइलेंट वॉर’ की तरह हो रहा है. ऐसा ही उत्तराखंड में दिखाई दे रहा है. काशीपुर पुलिस ने एसओजी के साथ मिलकर चलाए गए अभियान में यूपी के एक नशा तस्कर से लाखों रुपयों की कंट्रोल्ड ड्रग बरामद की हैं,….

कंट्रोल्ड ड्रग्स की तस्करी करने वाला युवक गिरफ्तार: अवैध रूप से Controlled Drugs इंजेक्शन और सिरप की तस्करी करने के मामले में काशीपुर पुलिस और एसओजी की टीम ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले एक आरोपी को स्कूटी के साथ गिरफ्तार किया है. आरोपी से अवैध 5,000 इंजेक्शन और 326 अवैध सिरप बरामद हुई हैं. इनकी कीमत 8 लाख रुपए आंकी जा रही है. आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में मुकदमा दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है,…
#एसएसपी_मणिकांत_मिश्रा का नशा तस्करों के विरुद्ध कड़ा रुख — 08 लाख रुपये से अधिक कीमत के 5000 अवैध इंजेक्शन व 326 बोतल अवैध सिरप के साथ तस्कर गिरफ्तार!
➡️ कोतवाली काशीपुर + एसओजी काशीपुर की संयुक्त टीम की बड़ी सफलता, एनडीपीएस एक्ट में मुकदमा दर्ज । pic.twitter.com/axBVNYdaMI— Udham Singh Nagar Police Uttarakhand (@UdhamSNagarPol) November 19, 2025
बिना लाइसेंस के ले जा रहा था कंट्रोल्ड ड्रग्स: इसके अलावा तीन अलग-अलग पेटियों में रखी कोडीन फॉस्फेट और ट्राइप्रोलिडाइन एचसीएल (CODINE PHOSPHATE & TRIPROLIDINE HCL) की 326 बोतलें भी बिना लाइसेंस और बिना बिल के मिलीं. जांच के लिए मौके पर औषधि निरीक्षक नीरज कुमार को बुलाया गया तो पता चला कि दोनों दवाएं Controlled Drugs की श्रेणी में आती हैं. इनका परिवहन केवल लाइसेंस प्राप्त इकाइयों द्वारा ही किया जा सकता है. बिना बिल और बिना वैध लाइसेंस इनका परिवहन NDPS Act का गंभीर उल्लंघन है.
यूपी का रहने वाला है तस्कर: पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम दीपक ठाकुर, पुत्र कृष्णपाल सिंह निवासी, ग्राम शक्तिखेड़ा, थाना भगतपुर, जनपद मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश बताया गया. आरोपी के खिलाफ NDPS एक्ट में मुकदमा दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है,…..
कंट्रोल्ड ड्रग्स क्या हैं? कंट्रोल्ड ड्रग्स वो दवाइयां हैं, जिनके गलत प्रयोग की आशंका होती है. नशे के आदी लोग इनका ज्यादा डोज लेकर अपनी नशे की लत पूरी कर सकते हैं. इसीलिए सरकार इनके निर्माण और उपयोग को नियंत्रित करती है. संयुक्त राज्य सरकार की एक आधिकारिक वेबसाइट नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार। …
दर्द से राहत पाने के लिए मरीज़ों द्वारा चिकित्सा सहायता लेने का एक सबसे आम कारण दर्द निवारक दवाइयां हैं. हालांकि कई प्रकार की दर्द निवारक दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन ओपिओइड दर्दनाशक दवाओं को मध्यम से गंभीर दर्द के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया है. इस प्रकार, ये तीव्र, कैंसर-संबंधी, तंत्रिका-संबंधी और जीवन के अंतिम चरण में पहुंच चुके दर्द से पीड़ित मरीज़ों के लिए एक आम विकल्प हैं. पुराने दर्द के लिए ओपिओइड दर्दनाशक दवाओं का प्रयोग विवादास्पद है और इसके मानक अनिश्चित हैं,….
1990 के दशक में, गंभीर दर्द का उचित उपचार करने में स्वास्थ्य पेशेवरों की लगातार विफलता के कारण ओपिओइड दर्दनाशक दवाओं के इस्तेमाल में वृद्धि हुई. दुर्भाग्य से, इसके परिणामस्वरूप दवाओं का अत्यधिक उपयोग, दवाओं का दुरुपयोग, ओपिओइड उपयोग विकार और ओवरडोज़ में वृद्धि हुई. समस्या यह है कि स्वास्थ्य पेशेवर या तो मरीजों का कम इलाज करते हैं, जिससे उन्हें अनावश्यक पीड़ा होती है, या फिर उनका ज़रूरत से ज़्यादा इलाज करते हैं, जिससे ओपिओइड दर्दनाशक दवाओं के उपयोग विकार और संभावित ओवरडोज़ जैसे प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं,….
