दिसंबर से बाहरी राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूला जाएगा. यह निर्णय राज्य में प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है. विभिन्न वाहन श्रेणियों के लिए अलग-अलग कर दरें तय की गई हैं . छोटे वाहनों के लिए 80 रुपये, छोटे मालवाहक वाहनों के लिए 250 रुपये, बसों के लिए 140 रुपये और ट्रकों के लिए उनके वजन के आधार पर 120 रुपये से 700 रुपये तक वसूले जाएंगे. ट्रकों पर साइज के हिसाब से टैक्स लिया जाएगा, जो ₹ 140-700 तक होगा.

राज्य के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने शनिवार को कहा कि राज्य की सीमाओं पर लगाए गए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे आने वाले वाहनों के पंजीकरण नंबर रिकॉर्ड करेंगे. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले से ही 16 कैमरे लगाए गए हैं. अब उनकी संख्या बढ़ाकर 37 कर दी गई है.
राज्य के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने कहा परिवहन विभाग ने ग्रीन टैक्स वसूलने के लिए एक विक्रेता कंपनी नियुक्त की है. उन्होंने बताया कैमरों द्वारा कैप्चर किया गया डेटा सॉफ्टवेयर के माध्यम से विक्रेता को भेजा जाएगा, जो उत्तराखंड में पंजीकृत, सरकारी और दोपहिया वाहनों से संबंधित जानकारी को अलग करके भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के डेटाबेस में भेज देगा.राज्य के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया वहां से वाहन मालिकों के वॉलेट नंबर खोजे जाएंगे. संबंधित राशि स्वचालित रूप से कटकर परिवहन विभाग के खाते में जमा हो जाएगी.
अगर कोई वाहन एक दिन के भीतर दोबारा राज्य में प्रवेश करता है, तो उसे दोबारा शुल्क नहीं देना होगा. ये सेस 24 घंटों के लिए मान्य होगा. इसके लिए संबंधित कंपनी को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से पेमेंट गेटवे की अनुमति भी मिल चुकी है.
इन वाहनों को मिलेगी छूट
- दूसरे राज्यों से आने वाले दो पहिया, इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन को पूरी तरह छूट दी जाएगी.
- सरकारी वाहन, एंबुलेंस और अग्निशमन वाहन को भी इस शुल्क से अलग रखा गया है.
सरकार का कहना है कि इस ग्रीन सेस से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, सड़क सुरक्षा और शहरी परिवहन सुधार में किया जाएगा. यह कदम राज्य की स्वच्छ और सुरक्षित यातायात नीति को मजबूती देगा. गौरतलब है कि उत्तराखंड से पहले हिमाचल प्रदेश में भी निजी वाहनों से एंट्री टैक्स के रूप में ऐसा शुल्क लिया जा रहा है. अब देवभूमि भी उसी राह पर आगे बढ़ रही है.
