गूलरभोज में शुक्रवार रात एक हाथी को स्पेशल मेंटेनेंस ट्रेन की टक्कर से गंभीर चोटें आईं। हाथी कीचड़ में गिर गया और 15 घंटे तक कीचड़ में तड़पता रहा। वन विभाग ने जेसीबी से हाथी को सुबह करीब 12 बजे निकाला। ग्रामीणों ने विभाग पर लापरवाही का लगाया आरोप
दिनेशपुर, हिटी। पीपलपड़ाव रेंज में तिलपुरी गांव के समीप शुक्रवार रात स्पेशल मेंटेनेंस ट्रेन की टक्कर से एक हाथी गंभीर रूप से घायल होकर कीचड़ भरे गड्ढे में गिर गया। सूचना पर रात को ही वन विभाग और संबंधित विभागों की टीम मौके पर पहुंची। रात में तमाम कोशिश के बाद भी हाथी को गड्ढे से बाहर नहीं निकाला जा सका। वहीं घटना के 15 घंटे बाद किसी तरह हाथी को जेसीबी के जरिए गड्ढे से बाहर निकाला जा सका। जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात करीब 8.30 बजे काशीपुर-लालकुआं रेलवे ट्रैक पर पिलर संख्या 16/8 तिलपुरी गांव के समीप गूलरभोज से लालकुआं जा रही स्पेशल मेंटेनेंस ट्रेन की टक्कर से एक टस्कर हाथी बुरी तरह घायल हो गया।

हाथी का बायां दांत टूट गया। उसके माथे और पिछले हिस्से में भी काफी चोटें आईं। ट्रेन से टक्कर लगने के बाद घायल हाथी उठने के प्रयास में रेलवे ट्रैक के समीप बने कीचड़ से भरे गड्ढे में जा गिरा। जैसे ही लोगों को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने वन विभाग को सूचित किया। इस पर डीएफओ यूसी तिवारी, रेंजर रूप नारायण गौतम, एसओजी, वन कर्मी, पुलिस और पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंच गई।
हाथी के प्राथमिक उपचार के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। वन विभाग की टांडा रेंज और पीपलपड़ाव से संबंधित सभी अधिकारी और वन कर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे। तमाम कोशिशों के बावजूद रात में हाथी को गड्ढे से बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली। शनिवार सुबह जेसीबी के जरिए दोपहर करीब पौने बारह बजे हाथी को गड्ढे से बाहर निकाला जा सका। वहीं आरओ पीपलपड़ाव रेंज पूरन चंद जोशी ने बताया कि अंधेरा होने की वजह से रात को जेसीबी नहीं मंगाई जा सकी।
इसके बावजूद वन विभाग की टीम रातभर हाथी के रेस्क्यू का प्रयास करती रही। हाथी की जान बचाना वन विभाग की पहली प्राथमिकता थी। वन विभाग पर भड़के ग्रामीण गूलरभोज। हाथी को देर रात तक नहीं निकाले जाने से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। उन्होंने कहा कि विभाग की सुस्ती के कारण हाथी 15 घंटे तक कीचड़ में तड़पता रहा।
जेसीबी आने से पहले ग्रामीणों ने खुद गड्ढे का पानी निकालने में मदद की। कोट… सूचना मिलते ही अधिकारी और वन कर्मी मौके पर पहुंचे थे। पशु चिकित्सकों ने घायल हाथी का प्राथमिक उपचार किया। सड़क से लगभग 300 मीटर दूर और अंधेरा होने के कारण रात में जेसीबी से रेस्क्यू संभव नहीं था। सुबह हाथी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। उसका उपचार जारी है। संबंधित ट्रेन के चालक के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
