उत्तराखंड में इन दिनों मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है. हालांकि अभी तक बीजेपी सरकार और संगठन की तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कुछ भी साफ नहीं किया गया है. इन सबके बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत का बयान आया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों नहीं कर रही है, या तो उनके पास योग्य लोग नहीं है, या कोई और कारण है? अधूरे मंत्रिमंडल से चार साल निकल गए और अभी कोई भी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है. इसलिए यह सरकार दिव्यांग सरकार है.

दरअसल, हरीश रावत इन दिनों आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे है. इसी क्रम में रुद्रप्रयाग भी पहुंचे थे. वहीं पर प्रेस वार्ता के दौरान हरीश रावत ने मंत्रिमंडल विस्तार को मुद्दा उठाया और सरकार के खिलाफ बयान दिया. वहीं हरीश रावत ने बताया कि आपदा में एक नियम है, जहां लोगों की मौत हुई है, वहां एक समय बाद पुष्ट जानकारी के अनुसार लापता लोगों को मृत घोषित कर दिया जाता है. और परिजनों को समुचित मुआवजा दिया जाता है. इसके साथ ही उनकी क्षतिपूर्ति करने का काम किया जाता है, मगर इस कार्य में भी सरकार विलम्ब कर रही है. आज राज्य के अंदर हालत यह है कि जहां आपदा आई वहां लोगों का खेती, मकान, दूकान, व्यवसाय सहित कई बड़ा नुकसान हुआ है.
बीजेपी सरकार को आपदा के मामले पर घेरा: हरीश रावत का आरोप है कि आपदा पीड़ितों को पुर्नवासित करने के लिए भी सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई है. उन परिवारों को कैसे पुर्नवासित करें, जीवन यापन के प्रति उन्हें खड़ा करने के कोई प्रयास नहीं किए गए. हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान आपदा में होटल दुकान, गाड़ी, घर, मकान, घोड़ा-खच्चर, गाड़ी आदि से जुड़े लोगों को छह महीने के भीतर सहायता दी गई थी. आपदा प्रभावित व्यक्ति को अपने पैर पर खड़ा किया. आज सरकार अभी तक आपदाग्रस्त परिवारों की सहायता नहीं कर पाई है. सरकार ने महज आपदा के मानक अनुसार मुआवजा और अहेतुक राशि दी है.
सब्सिडी देने में कोताही बरतने का आरोप: उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों के ऋण माफ किए जाने चाहिए. यदि माफ नहीं होता है तो उन्हें राहत देने के लिए बीच का रास्ता निकालना होगा. सरकार आपदा पीड़ितों के साथ खिलवाड़ कर रही है. विभिन्न सरकारी योजनाओं में सरकार पात्र लोगों को सब्सिडी देने में कोताही कर रही है. सब्सिडी के नाम पर कमीशन लेने का काम किया जा रहा है.
अस्पतालों की हालत दयनीय: हरीश रावत का आरोप है कि प्रदेश भर में सड़कों और अस्पतालों की हालत दयनीय है. अस्पताल में डॉक्टर नहीं है. शिक्षा की हालत सुधारने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. बड़े पैमाने पर पद खाली पड़े हैं. आज 90 फीसदी प्रधानाचार्य के पद खाली पड़े हैं. जबकि उनकी सरकार के दौर में सौ फीसदी प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक के पद भरे थे. जब प्रधानाचार्य ही नहीं है तो शिक्षा का हाल क्या होगा?
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल चौखुटिया जैसे हर जगह बने है. स्वास्थ्य सेवाओं में राज्य का एक एजेंडा बनाया जाना चाहिए. उनकी सरकार ने प्रदेश में सर्जिकल कैंप चलाए थे. स्वास्थ्य के क्षेत्र में धरातल पर काम करने की जरूरत है. प्रदेश भर में कानून व्यवस्था बदहाल है. आने वाले समय के लिए कांग्रेस ने मुद्दे गढ़ लिए हैं, संगठन संघर्ष के साथ आगे बढ़ रहा है.
ब्राह्मण शब्द वाले सवाल पर भी दिया जवाब: ब्राह्मण शब्द के सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि जिससे यह बात आई है, उसे एक शब्द पकड़कर तूल दिया गया. आज देश और प्रदेश में एक असहशीलता का वातावरण है. विद्वेष बढ़ रहा है. संर्कीणताएं बढ़ रही है. तीन तत्व को लेकर मैंने बात कही थी. एक सनातन है, दूसरा उसका व्याख्याता ब्राह्मण और तीसरा कांग्रेस. यह तीनों एक तरीके की पहचान है. किंतु किसी ने इन तीनों में से महज एक ही शब्द पकड़ कर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जब भी इन तीनों ने एक दूसरे को ताकत दी है, भारत और समाज में विकास हुआ है. जब ये साथ नहीं हुए तो भारत पीछे हुआ है. यह तीनों एक दूसरे के पूरक है. सनातन मूल है.
केदारनाथ सोना प्रकरण भी बोले: हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ सोना विवाद से हमारी आध्यात्मिकता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है. इसको लेकर कांग्रेस सदा आवाज उठाएगी. केदारनाथ यात्रा को लेकर सरकार को तीर्थ-पुरोहितों के साथ ही स्थानीय लोगों से बातचीत कर एक विशेष योजना बनानी चाहिए, ताकि विशुद्ध रूप से ही यात्री केदारनाथ पहुंचे सके. पर्यटक और सेर सपाटा वाले को अन्यत्र भेजा जाए.
रोजगार को लेकर झूठा आंकड़ा दे रही सरकार: इस मौके पर आनंद सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार रोजगार को लेकर झूठा आंकड़ा दे रही है. अभी तक साढ़े 6 हजार लोगों को ही सरकार ने नौकरी दी है. जबकि वह 28 हजार लोगों को नौकरी देने का दावा कर रही है. तिवारी सरकार के कार्यकाल में 17 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी मिली थी.
