बेहड़ और ठुकराल की संभावित जुगलबंदी ला सकती है सियासी भूचाल….

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एक पुरानी कहावत है कि राजनीति में ना तो कोई स्थाई दोस्त होता है और ना ही कोई स्थाई दुश्मन। सत्ताइस के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में इस पुरानी कहावत के चरितार्थ होने के प्रबल आसार एक बार फिर दिख पड़ने लगे हैं। हालांकि सत्ताइस के विधानसभा चुनाव में अभी समय है और विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने तक अनेक नए राजनीतिक समीकरण बन भी सकते हैं और कई बने बनाए सियासी समीकरण बिगड़ भी सकते हैं,

 

 

लेकिन कभी एक दूसरे के प्रति खांटी सियासी अदावत रखने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता एवं वर्तमान किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ एवं एक समय भाजपा के उग्र हिंदुत्व का चेहरा रहे पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की संभावित जुगलबंदी से, रुद्रपुर शहर की राजनीतिक आबो हवा में आजकल एक ऐसे राजनीतिक समीकरण के आकार लेने की मजबूत संभावनाएं बन रही हैं , जो आगे चलकर रुद्रपुर और किच्छा की सियासत में भूचाल ला सकता है और दीर्घकालिक भी हो सकता है।

 

 

गौरतलब है कि किच्छा विधायक बेहड़ एवं पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल पिछले दिनों कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में साथ- साथ देखे गए हैं। बेहड़ और ठुकराल की इस नजदीकी ने राजनीतिक परीक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और दोनों नेताओं की इस नजदीकी को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जाने लगे हैं। सियासी हल्के में यह चर्चा जोरों पर है कि हालात के तकाजे के मध्य नजर एक समय के धुर राजनीतिक विरोधी अब आपस में सुलह कर चुके हैं और कांग्रेसी नेता बेहड़, ठुकराल के कांग्रेस प्रवेश की व्यूह रचना में लगे हुए हैं।

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राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ठुकराल के कांग्रेस प्रवेश की स्थिति में कांग्रेस द्वारा सत्ताइस के समर में रुद्रपुर विधानसभा सीट पर ठुकराल को अपना चेहरा बनाया जा सकता है, क्योंकि रुद्रपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पास फिलहाल ऐसा कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है, जो भाजपा को बैक फुट में धकेल सके। राजनीतिक प्रेक्षक इस संभावना से भी इनकार नहीं करते कि बेहड़ और ठुकराल की संभावित जुगलबंदी किच्छा विधानसभा सीट पर भी एक चौंकाने वाला सीन सामने ला सकती है। उनके अनुसार कांग्रेसी सर्वे में किच्छा विधायक के प्रति नकारात्मक रुझान मिलने की स्थिति में कांग्रेस, प्रत्याशियों की अदला बदली भी कर सकती है और ऐन मौके पर रुद्रपुर से बेहड़ तथा किच्छा से राजकुमार ठुकराल को अपना चेहरा बना सकती है।

 

 

इससे कांग्रेस को दो फायदे होंगे, एक तो पंजाबी वोटो का ध्रुवीकरण करके दोनों विधानसभा सीटों पर एक लहर पैदा की जा सकेगी और दूसरा किच्छा विधानसभा के मतदाताओं के समक्ष पार्टी की ओर से एक नया चेहरा भी प्रस्तुत किया जा सकेगा। यद्यपि कुछ माह पहले ही संपन्न हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस किच्छा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली तीनो ही जिला पंचायत सीट जीतने में सफल रही है ,लिहाजा किच्छा विधायक के प्रति किसी नकारात्मक रुझान की बात फिलहाल तो बेमानी लगती है, लेकिन अगर परिस्थितियां बनी तो तिलक राज बेहड़ रुद्रपुर की हार का दाग धोने में तनिक भी हिचकिचाएंगे, इसकी संभावना बेहद कम है।